शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008
ये क्या हो रहा है...?
दोस्तों, मैं नही जानता की ये क्या हो रहा है... शायद आप कुछ मदद
कर सकें......
मनाओ दिवाली
रावण जलाया तुमने, कहा बुराई का प्रतीक था,
पर माटी के नन्हे कोमल दीयों को क्यों जलाया, क्योकि तुम सब अपनी ख़ुशी के लिए करते हो... न तुम्हें बुराई से कुछ मतलब है, और न ही अच्छाई से कुछ लेना-देना है, न तो पटाखों से उठने वाले प्रदुषण का मलाल है, और न ही उनके शोर का, तुम स्वार्थी हो, तुम्हें बस अपनी दिवाली मनानी है.... शगुन-अपशगुन का ख्याल रखना है... मनाओ दिवाली, मेरी तरफ से भी दिवाली की शुभकामनाएं तो लेते जाओ...
शनिवार, 22 नवंबर 2008
मैं कौन हूँ ?
मैं जो सदियों से पैदा होता रहा...
मैं जो कभी शब्दों में, कभी पैमाइश में तुलता रहा...
बस उसी की अगली कड़ी हूँ....
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