दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

गुमशुदा

हमारी  आवाज़  में  न  हक  की  लड़ाई  थी ,



न  निगाहों  में  कोई  अदावत  की  थी  परछाई,


मगर  फिर  भी  हजारो  टुकड़े  किये  इस  दिल  के , दुनिया  ने ,


और  ऐसे  बिखरा  उनको ,


की लाख  कोशिशों के बाद भी ,


तस्वीर  पुराने  से  दिल  की  मुकम्मल  नहीं होती,


शायद ! वो  एक  टुकड़ा ,


आज  तक , कहीं  गुमशुदा  सा ही  है ...