दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
(चेतावनी- इस ब्लॉग के सर्वाधिकार (कॉपीराइट) ब्लॉग के संचालनकर्ता और लेखक वैभव आनन्द के पास सुरक्षित है।)

शनिवार, 21 अगस्त 2010

बंदरों से बचाओ

बन्दर के हाथ,                 
उस्तूरे की फांस,
अटकी है,
हजामत कराने  वालों की सांस,
छुडाए  कैसे अपनी गर्दन, 
हर कोई  सोचता बैठा है,
मगर कितनी दफा,
यहाँ तो हर राह, पे,
उस्तुरा चमकाता,
...एक बन्दर बैठा है.