दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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मंगलवार, 24 जून 2014

उस दिन से आज तक

उस दिन यूँ ही, 
उसने तुम्हारा नाम, 
मेरी हथेली पे लिख दिया, 
दुनिया से छुपाने के वास्ते, 
मैंने बहुत देर तक, 
अपनी मुठ्ठी नहीं खोली, 
पता नहीं कब...? 
तुम पसीने में घुल गई,बह गयी, 
मेरी हथेली की बंदिशों से..
आज भी जब हथेली को.. 
मैं छूता हूँ, 
एक खलिश दिल में 
कहीं बहुत गहरे होती है... 
तुम्हारा चमकता सा.. 
धूप में लाल हुआ चेहरा 
बहुत देर तक 
मेरे 'काले-सफ़ेद' ख्यालों में 
'लाल रंग' भरता है,
तुम्हारी कशिश 
जो आज तक 
ताज़ा है ज़ेहन में... 
सुना है लोगों से 
बरसों बाद आज भी 
वो चमक 
जस की तस है? 
शायद इसलिए, 
की 
तुम अनजान हो 
मेरी हालत से... 
मगर 
मेरे जीने का 
तो बस 
इक यही सहारा है 
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(C) - वैभव आनंद