रोती गंगा, रोते घाट.... |
"चलो रे डोली उठाओ कहार, पिया मिलन की रुत आई....
६ साल की स्वस्तिका के लिए इस गाने का मतलब थोडा अलग है... उसकी डोली वो पत्थर है जिस से उसके बेजान शरीर को बंधा गया, और उसके पिया वो भगवान हैं जिनसे उसका आज मिलन हुआ... अगर महसूस कर सको तो उस बाप की वेदना महसूस करो, जो उसे गोद में उठा कर अंतिम संस्कार को ले आया... ६ साल की बेटी का भार उसके लिए नया नहीं है, ऐसा ही भार उसके सो जाने पर अक्सर महसूस करता था ये अभागा बाप, मगर अब उसके उठने का इंतज़ार किसी को नहीं है....जिन घाटो पर वो खेल के बड़ी हुई, जिन घाटों को उसके ब्याह की शहनाइयां सुननी थी... वो आज उसकी मौत की गवाह बन गयी...कल बनारस के घाट पर एक विस्फोट हुआ और स्वस्तिका की मौत की वजह बन गया.. गंगा मौन है, मगर गंगा की धारा की चीत्कार और सिसकियों के स्वर हर कोई महसूस कर रहा है...
६ साल की स्वस्तिका के लिए इस गाने का मतलब थोडा अलग है... उसकी डोली वो पत्थर है जिस से उसके बेजान शरीर को बंधा गया, और उसके पिया वो भगवान हैं जिनसे उसका आज मिलन हुआ... अगर महसूस कर सको तो उस बाप की वेदना महसूस करो, जो उसे गोद में उठा कर अंतिम संस्कार को ले आया... ६ साल की बेटी का भार उसके लिए नया नहीं है, ऐसा ही भार उसके सो जाने पर अक्सर महसूस करता था ये अभागा बाप, मगर अब उसके उठने का इंतज़ार किसी को नहीं है....जिन घाटो पर वो खेल के बड़ी हुई, जिन घाटों को उसके ब्याह की शहनाइयां सुननी थी... वो आज उसकी मौत की गवाह बन गयी...कल बनारस के घाट पर एक विस्फोट हुआ और स्वस्तिका की मौत की वजह बन गया.. गंगा मौन है, मगर गंगा की धारा की चीत्कार और सिसकियों के स्वर हर कोई महसूस कर रहा है...
किसने किया और किसने कराया ये बम विस्फोट? जांच होगी और पता चल जायेगा, मगर स्वस्तिका का बाप हर रोज़ घाट पर आएगा... इस उम्मीद में की शायद आज उसे यहीं कहीं खेलती स्वस्तिका मिल जाए..
इस बम विस्फोट पर मुझे कुछ नहीं कहना.. और न ही सरकार-प्रशासन पर ही कोई टिपण्णी करनी है.. आज तो बस देश में कश्मीर और देश की सीमाओं से आगे आकर गहरे तक पैठ बना चुके आतंकवाद पर मुझे मशहूर लेखक शिव खेडा की वो बात याद आ रही है... "अगर आप के पडोसी पर अन्याय हो रहा है, और आप चुप होकर घर में बैठ जाते हैं, तो यकीन मानिये, कल आपका ही नंबर है..." क्या स्वास्तिका के पिता श्री संतोष कुमार शर्मा के पडोसी और हम सब ये समझ पा रहे हैं?