दिल की नज़र से....

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बुधवार, 3 जून 2015

मैगी के बहाने 2 मिनट की बात


बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं कि जल्दी का काम शैतान का,  2 मिनट में मैगी बना के खाना भी उसी शैतानी भोजन का हिस्सा ही तो है। अचरच होता है इसको प्रचारित करने वाले ब्रांड अंबेसडर्स पर, जैसे अमिताभ बच्चन – हर इंटरव्यू और हर मजलिस में अपने बाबूजी को याद करने वाले, और उनकी कविताएं सुना कर तालियां बटोरने वाले अमिताभ को उनके बाबूजी ने ये कहावत नहीं सिखाई कि – जल्दी का काम शैतान का, अभी इस बारे में अमिताभ से पूछे तो वो ऐसे साधू बन कर बोलेंगे जैसे कि वो सब मोह-माया से ऊपर उठ चुके हैं – कहेंगे – हम तो कलाकार हैं आप आएंगे और कहेंगे कि स्क्रिप्ट है आपको एक्टिंग करनी हैं हम कैमरे के सामने जा कर डॉयलॉग बोल देंगे..सोचता कोई और है लिखता कोई और है हम तो बस पात्र हैं, जिन्हें दूसरे संचालित करते हैं। ऐसे जवाब सुनकर सवाल पूछने वाला भी लज्जित हो जाता है और अमिताभ, सुपर स्टार बने रहते हैं। ये वही अमिताभ हैं जो एक समय अपनी असफल होती फिल्मों से इतने उत्तेजित हो गए थे कि उस दौर के सबसे अश्लील गीत (जुम्मा-चुम्मा) को अपनी फिल्म हम में शामिल किया और उस पर भौंडा नाच भी दिखाया। हालत ये हो गई कि विविध भारती”(रेडियो) और दूरदर्शन को उस गीत को घोर अश्लील करार देते हुए प्रसारण पर बैन लगाना पड़ा। ना तो ये गीत रेडियो पर बजता था और ना ही चित्रहार वगैरा में दिखाया जाता था। खैर फिल्म हिट(?) हो गई और फिल्मी गीतों में अश्लीलता का दौर शुरु हो गया।
अब बात दूसरी ब्रांड अंबेसडर माधुरी दीक्षित की – वैसे अश्लीलता का दौर शुरु करने में अगर किसी दो शख्स का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है तो वो पहले तो सुभाष घई हैं और दूसरी माधुरी दीक्षित – नब्बे के दशक के आखिरी तक सुभाष घई का फिल्मी फार्मूला पिटने लगा था, उन्हें अपने शोमैन की पदवी सरकती नज़र आने लगी थी, तो उन्होंने भी खलनायक में चोली के पीछे पर माधुरी को नचा कर छप्पर फाड़ सफलता पाने की मंशा जताई सुभाष घई सफल हुए (ये अलग बात है कि खलनायक के बाद से उनकी हर फिल्म सुपर फ्लॉप रही) और करियर के आखिरी पड़ाव में वो शोमैन जैसी साफ सुथरी छवि के बजाए अश्लीलता के शोमैन बन गए, औऱ माधुरी दीक्षित अश्लील गीतों पर डांस की महारानी बन गईं और अगली फिल्म बेटा में और ज्यादा अश्लीलता दिखाते हुए धक-धक पर डांस किया। चोली के पीछे क्या है गीत को भी रेडियो और टीवी पर बैन कर दिया गया था, उस दौर में बड़े-बुज़ुर्ग ये गीत सुन कर बगले झांकने लगते थे। इस गीत के बाद तो जैसे फिल्म निर्माताओं को फिल्म हिट कराने का एक फॉर्मूला हाथ लग गया – उदाहरण – चढ़ गया ऊपर रे, अटरिया पे लोटन कबूतर, सेक्सी-सेक्सी लोग बोलें, मेरी पैंट भी सेक्सी, खेत गए बाबा, दुआरे पे मां, तू चीज़ बड़ी है मस्त वगैरा-वगैरा गीत।

नेने से शादी करके माधुरी गायब हो गईं थीं मगर पैसे की खनक उन्हें दोबारा मुंबई खींच लाई और फिल्मों के साथ-साथ वो मैगी जैसे एड करने लगीं, मुझे मालूम है उनका भी मैगी के एड करने पर वही तर्क होगा जो बाबूजी के खानदानी बेटे (अमिताभ) का होगा।