प्रश्न - सिद्ध कीजिए कि विनोद कापड़ी की फिल्म "मिस टनकपुर हाज़िर हों" की रिलीज़ के बाद
फिल्मों का नया इतिहास लिखा जाएगा, कापड़ी के टीवी में फैलाये कचरे की तरह ही एक नया ट्रेंड मार्केट में गोते लगाएगा और 'खाप' के त्रिभुज की 2 भुजाएं (शाहरुख़जैसी) बराबर फैलेंगी और 1 भुजा के शीर्ष पर (माथे पर) अपराध बोध बल खाएगा, कोण किसी भी दिशा में जाएगा.. पर अक्ष (खाप) 360 डिग्री तक घूम जाएगा? यानी खाप को 'माता रानी' का
पाप खाएगा... कापड़ी न्यूज़ चैनल की तरह ही फिल्मों में छिछोरगर्दी दिखाएगा?
हल - (उत्तर) माना कि - विनोद कापड़ी की फिल्म रिलीज़ हो गई सब तैयार - कभी इंडिया टीवी में 'पतुरिया' नचवा के टीआरपी दिलाने वाले कापड़ी अब सुभाष घई जैसी टुच्चई करेंगे, चोली के पीछे
माधुरी को नचवाने जैसा कुछ काम. - ढाक के तीन पात
मदारी होंगा - 'विनोद कापड़ी'...(माइनस-प्लस पुराने जैसा)
बाकी फिल्म के कलाकार होंगे 'जमूरे'.. (हमेशा माइनस)
(झूठे तिलस्म की रचना - (यानी कथा) में कैसा होगा संवाद?)
कापड़ी - जमूरे.. 'भैंस की त्वचा काली' क्यों पड़ी..?
एक कलाकार - विनोद जी पता नहीं..!
कापड़ी- अबे, भूतनी के...'काली पड़ी' क्योंकी आ गया है, 'का-पड़ी'.. 'भैंस की काली त्वचा' दिलाएगी नाम और शोहरत..
दूसरा कलाकार - विनोद जी लेकिन ये फिल्म..
कापड़ी- तेरी फिल्म की मां की...(??) (ओह सॉरी भूल गया ये तो मेरी ही फिल्म है)
तीसरा कलाकार - फिर सर भैंस को गोरा दिखाया जाए...
कापड़ी- अबे देख – भैस के गले में 'नींबूं-मिर्च' लटका दे.. कई दिनों तक रहेगा संस्पेंस का मायाजाल.. चौथे दिन फिल्म का 'चौथा' (प्रीमियर) होगा..तो क्रिटिक्स की तारीफों का विस्फोट होगा..
(परिणाम)कापड़ी खुश+ खाप खुश+ चमचे भी खुश..(-)
= फिल्म नाम की विधा का सामूहिक बलात्कार देख हर कोई फोड़ेगा माथा..
तो भाइयों..अब आगे-आगे देखिए विनोद कापड़ी की 'मस्तराम-गाथा' -
जिसे सुनाएगा फिल्म का शिकार हुआ हर अभागा...
इति सिद्धम (कार्य दुर्गम)
(BBMK डेस्क)
हल - (उत्तर)
मदारी होंगा - 'विनोद कापड़ी'...(माइनस-प्लस पुराने जैसा)
बाकी फिल्म के कलाकार होंगे 'जमूरे'.. (हमेशा माइनस)
(झूठे तिलस्म की रचना - (यानी कथा) में कैसा होगा संवाद?)
कापड़ी - जमूरे.. 'भैंस की त्वचा काली' क्यों पड़ी..?
एक कलाकार - विनोद जी पता नहीं..!
कापड़ी- अबे, भूतनी के...'काली पड़ी' क्योंकी आ गया है, 'का-पड़ी'.. 'भैंस की काली त्वचा' दिलाएगी नाम और शोहरत..
दूसरा कलाकार - विनोद जी लेकिन ये फिल्म..
कापड़ी- तेरी फिल्म की मां की...(??) (ओह सॉरी भूल गया ये तो मेरी ही फिल्म है)
तीसरा कलाकार - फिर सर भैंस को गोरा दिखाया जाए...
कापड़ी- अबे देख – भैस के गले में 'नींबूं-मिर्च' लटका दे.. कई दिनों तक रहेगा संस्पेंस का मायाजाल.. चौथे दिन फिल्म का 'चौथा' (प्रीमियर) होगा..तो क्रिटिक्स की तारीफों का विस्फोट होगा..
(परिणाम)कापड़ी खुश+ खाप खुश+ चमचे भी खुश..(-)
= फिल्म नाम की विधा का सामूहिक बलात्कार देख हर कोई फोड़ेगा माथा..
तो भाइयों..अब आगे-आगे देखिए विनोद कापड़ी की 'मस्तराम-गाथा' -
जिसे सुनाएगा फिल्म का शिकार हुआ हर अभागा...
इति सिद्धम (कार्य दुर्गम)
(BBMK डेस्क)