बदनाम बस्ती...!
क्यों कोसते हो शहर की बदनाम गलियों को, यहां हर मोड़ पर एक "बदनाम बस्ती" है...
दिल की नज़र से....
(चेतावनी- इस ब्लॉग के सर्वाधिकार (कॉपीराइट) ब्लॉग के संचालनकर्ता और लेखक वैभव आनन्द के पास सुरक्षित है।)
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
बन के आंसू
बन के आंसू जो गिरा मैं , नज़र से , ख़ाक हुआ ...
और उनकी ज़रा सी आह पे, लाखों का जिगर चाक हुआ...
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