बड़ी दुश्वारियां हैं,
एक सीधी राह चलने में,
तुम्हारे आह भरने में,
हमारे सांस लेने में.
मगर तुम ये नहीं मानोगी,
की हम भी प्यार करते हैं,
बड़ी उम्मीद से हर बार,
ये इकरार करते हैं,
है अब भी वक़्त,
गर तुम समझ पाओ,
अधूरे से हैं हम भी,
और अधूरे तुम भी हो लेकिन,
यही है प्रश्न, इसका हल,
हम कहाँ से ले आये?