दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

ख्याल में आया जाये...


सोचता हूँ की कैसे उनके ख्याल में आया जाये,.

गढ़ू कौन सा तिलिस्म, की मिसाल में आया जाये...


मैं ये हूँ, मैं वो हूँ, लिख-लिख के थक गया हूँ,

तरस खा सके सभी, ऐसे किस हाल में आया जाये....


हूँ उनके खेल का अदना सा, छोटे दायरे वाला प्यादा,

सोच में हूँ की कैसे, उनके शह में काम आया जाए...


वो राजा हैं, मैं गंगुआ हूँ, तरकीब तो बताओ,

जूं बन के उनके कान पे किस तरह रेंगा जाए...


वो खा चुके कई गरीबों के घर नमक-रोटी,

अब उनको नमक-हलाली के, जज़्बात सिखलाया जाये...


दो कदम अर्जिया, मेरी बढ़ी उनके तलक,पर ,

उड़ते सिफारिशी पैगाम से, कदम कैसे मिलाया जाये....


अटक गयी है फिर से, मुंडेरों पर पतंग सी उम्मीदें ,

महराब के घुमाओ में, कब तक सर खपाया जाये...

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