दिल की नज़र से....

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

मेरे बचपन का गाँव...

इक मंदिर है, इक मस्जिद है, इक ताल, एक तलैया है,
कुछ पक्के हैं, कुछ कच्चे हैं,
कुछ छोटी बड़ी मड़ैया हैं,
कुछ खेत भी हैं, खलिहान भी हैं,
परधान का बड़ा मकान भी है,
ठंडी, गर्म हवाएँ हैं,
कजरी, चैती बिरहाये हैं,
जोगन भी है, जोबन भी है,
कुछ आहें और सदाएं हैं,
मेरे बचपन का गाँव है ये,
जिसकी कई कथाएँ हैं.

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