पैबस्त है तुझसे मेरी तकदीर इस तरह,
पाने की आस में हो फ़कीर जिस तरह...
बेचारगी देख खुद की, उदास शाम से हूँ,
मजबूर बिन परवाज़ परिंदा हो जिस तरह...
पढने को तेरी आँखें हैं पर कैसे पढ़े हम,
बे-दीद हूँ, सावन का अँधा हो जिस तरह...
तेरा देखना उधर, तेरा देखना इधर,
देखा नहीं मुझे कभी उम्मीद की तरह...
गर समझ पाए तू मेरे चेहरे की इल्तजा,
आये बाँहों में कभी महबूब की तरह...
गर समझ पाए तू मेरे चेहरे की इल्तजा,
आये बाँहों में कभी महबूब की तरह...
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