सलमान खान की "दबंग" ओमकारा का नया संस्करण है. गुलज़ार और विशाल भरद्वाज को इन फिल्मो पर केस कर देना चाहिए. दुःख इस बात का भी है की दर्शकों की भूलने की प्रवृत्ति बहुत तेज़ है और इस फिल्म को खूब दर्शक मिल रहे हैं. शायद इसका एक कारण, वो बेहद फूहड़ और अश्लील, जिसे गीत कहना भी गीतों की तौहीन होगी, हाँ! भांडगिरी कह सकते हैं, "मुन्नी बदनाम हुई" है.
हद तो ये है की ओमकारा की हूबहू नक़ल इसका शीर्षक गीत "दम दबंग दबंग" है. जिसकी धुन ओमकारा से मिलती जुलती है. गायक भी सुखविंदर सिंह हैं. कहानी और उसको कहने का अंदाज़ भी ओमकारा की नक़ल मात्र है. दबंग अनुभव कश्यप की है तो इस मामले में अनुराग कश्यप भी पीछे नहीं हैं, उन की फिल्म देव डी मणिरत्नम की युवा की कहानी बताने की तर्ज पे थी. तो गुलाल, ओमकारा और हासिल का मिश्रण. बेहद चालाकी से इनके प्रोमो बनाते हैं ये नकलची बन्दर जैसे निर्देशक, और फिल्म देख के अपना सर फोड़ने का मन करता है. वैसे नक़ल में राजकुमार हिरानी भी पीछे नहीं. उनकी दो फिल्म क्या हिट हुई तीसरी में उन्ही दोनों के तडके को मिक्स कर परोस दिया, क्योंकि वो जानते थे की केवल 3 idiots ही इंडिया में नहीं हैं, बल्कि करोड़ों की फ़ौज है जो रुपये खर्च करके भी बासी कढ़ी खाने को उतावली रहती है. तो अगर दबंग को करोड़ों का बिजनेस मिल रहा है तो कोई आश्चर्य नहीं. हमारे दर्शक ही मूर्ख है. जिन्हें पहले राजनेता बेवकूफ बनाते हैं और फिर फिल्म निर्माता से ले कर साबुन निर्माता तक.
यानी हर जगह बेवक़ूफ़ जनता और दर्शक ही बनते हैं. वाकई ये हमारे लिए महा-त्रासदी का दौर है.
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