ये वक़्त है
एक घोड़ा-गाड़ी
भागता है - रुकता है
धीमा हो जाता है
घोड़े के गले में बंधे घुँघरू
तब भी खनकते हैं
जब गाड़ी बिलकुल रुकी होती है
वक़्त चले-रुके या बदले
जीवन संगीत नहीं रुकता
घोड़े के गले के घुँघरू
यही कहते हैं
छन-छन, बीतेगा हर छण यूँ ही
मत सोच क़ाफ़िला निकल गया
बस अपनी रफ़्तार बढ़ा
हौले से फिर हाँक जीवन की गाड़ी
सुनता जा घुँघरू की छन-छन...
यही है रे जीवन।
2 टिप्पणियां:
गंभीर बातें सर।
बातों ही बातों में गंभीर बातें !जबर्दस्त
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