दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

दिल क्यूं दीवाना हुआ?

ये तो सोचो कि दिल क्यूं दीवाना हुआ
एक जज्बात पे क्यू फसाना हुआ।


आ गये प्यार लेके वो चौखट पे मेरी,
जख्म जो भी था वो सब पुराना हुआ।

मौत के वक्त वो सामने थे खड़े,
मौत पे फिर तो मातम शहाना हुआ।

पत्थरों पे तो गुलशन हैं सजते नहीं,
मिट्टी थी, खेल जिसमें, तू सयाना हुआ।

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