पलकों कि छाँव में गुज़रती जो ज़िन्दगी,
तो पलकों पे ज़िन्दगी के फ़साने लिख देते,
तो पलकों पे ज़िन्दगी के फ़साने लिख देते,
रहम-ओ-करम पे आपके ज़िंदा हैं, अब तलक,
वर्ना यूँ आपको हम, सताने नहीं देते,
वर्ना यूँ आपको हम, सताने नहीं देते,
लाचारगी का हम पर, ये दौर जो ना होता
हम आपको यूँ अश्क़, छुपाने नहीं देते,
हम आपको यूँ अश्क़, छुपाने नहीं देते,
खुदगर्ज़ आप जैसे हम, थोड़े भी अगर होते
तो यूँ लोग हमको रोज़, ताने नहीं देते,
तो यूँ लोग हमको रोज़, ताने नहीं देते,
क़िस्मत पे ज़ोर अपना थोड़ा सा जो गर चलता
हम उन सुनहरे पल को यूँ ही जाने नहीं देते,
हम उन सुनहरे पल को यूँ ही जाने नहीं देते,
मोहलत जो देती ज़िन्दगी इक पल ज़रा सा और
हम ज़िन्दगी जीने के, पैमाने बदल देते....
हम ज़िन्दगी जीने के, पैमाने बदल देते....
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