दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

माँ ऐसी ही होती है…

गर्मियों में जब शिद्दत की धूप 
जिस्म को झुलसाती है 
माँ बहुत याद आती है
घर लौट कर जब आता हूँ
थका-हारा
माँ सर पे हाथ फेरती है
और चुपचाप
'आम का पना' बनाती है।
माँ ऐसी ही होती है…

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