खामोशी के शोर से जब भी डर जाता है,
अंदर का इंसान, भीड़ में जाकर खो जाता है..
अंदर का इंसान, भीड़ में जाकर खो जाता है..
अरमान दिलों में बरसों जला करते है,
इंसान तो इक पल में खाक हो जाता है.....!
इंसान तो इक पल में खाक हो जाता है.....!
क़ब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोचता हूँ...
लोग मरते हैं तो ग़ुरूर कहाँ जाता है...?
लोग मरते हैं तो ग़ुरूर कहाँ जाता है...?
है उनके शहर का ये 'कायदा' बड़ा अजीब,
'नमक' भी जहां जख्मों की 'दवा' कहलाता है..!
'नमक' भी जहां जख्मों की 'दवा' कहलाता है..!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें