दिल की नज़र से....

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मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

नफरतों का सिलसिला

"उनकी नफरत की सलीबों पर 
कई ईसा चढ़े, 
आज भी कायम है 
नफरतों का सिलसिला, 
जो भी कुछ आगे बढ़ा, 
वो ही सूली पर चढ़ा,
और भी ईसा यहाँ है,
पर सलीबें भी यहाँ,
कोशिश करें की,
उनको ये समझा सकें,
ईसाओं को मार
कुछ नहीं कर पाओगे,
एक ईसा मर गया,
पर उसके पीछे चल रहे,
काफिले में दब जाओगे.....
और तुम्हारी पीढियां,
बाइबिल पढ़ेंगी,
कुर्रान और गीता सुनेगी,
कोसेगीं तुम्हारी जात पे,
काश! नादानी न की होती हमारे बुजुर्गों ने,
तो हम आज शर्मिंदा न होते,
अपने पैदाइश से यहाँ...."

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