दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

मेरी नींद बड़ी आवारा है

मेरी नींद बड़ी आवारा है,
तेरे पास ही डोला करती है,
जब उसको पास बुलाता हूँ,
बस तुझको निहारा करती है...

मै जाग-जाग, गिनता हूँ तारे,
वो तेरे ख्वाब सजाती है,
मैं करवट-करवट काटूं रातें,
वो दूर खड़ी मुस्काती है....

वो जालिम है, वो कातिल है,
टुकड़ों में मारा करती है...
जब उसको पास बुलाता हूँ,
बस तुझको निहारा करती है...
मेरी नींद बड़ी आवारा है,
तेरे पास ही डोला करती है...

मेरे पास रही, दिन-रात रही,
फिर भी वो मेरी नहीं हुई,
ख्वाबो के महल सजाये कैसे,
बुनियाद ही जब है, हिली हुई,

अब रातें हैं, सन्नाटे हैं,
झींगुर की तान सताती है...
जब उसको पास बुलाता हूँ,
बस तुझको निहारा करती है...
मेरी नींद बड़ी आवारा है,
तेरे पास ही डोला करती है...


जब तक वो पास रही मेरे,
सारी नज़रें उसको ही लगी,
अब मेरी तडपन पे दुनिया खुश,
हाय सभी की ऐसी लगी....

तू टूट गया, तू रूठ गया,
तेरे हाथों से सब छूट गया,
मेरे कान में बोला करती है,
(added by my friend anuraag muskan)
जब उसको पास बुलाता हूँ,
बस तुझको निहारा करती है...
मेरी नींद बड़ी आवारा है,
तेरे पास ही डोला करती है...

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