दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
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बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

देखता सब है खुदा .....!!

एक ख़त बिना नाम और पते का ,

डाल के देखा जो हमने,

वो लौट के फिर हाथ मेरे ही लगा,कहता हुआ -

"ये दुनिया है गोल ,

क्या इतना भी है तुझको पता?"...

मैंने कहा,"ऐ दोस्त,हमको ,

ये नहीं मालूम था ,

जब भी किसी को ख़त लिखा उसने

कहा न शुक्रिया, इसलिए इस बार मैंने

बे-पते का ख़त उछाला, पर तुझे

फिर पाके वापस, इतना तो अब समझा किया ,

की भीड़ में रहकर किया जो कोई हमने गुनाह ,

कोई पहचाने या न पहचाने ,

देखता सब है खुदा .....!!

10 टिप्‍पणियां:

vidisha ने कहा…

Sach Dekhta Sab hai Khuda ...
Bas Jaan K bhi Anjan Hai admi...
Dafn kr k apne andar apni hi awaz...
kabhi kabhi bas jeene k liye jeeta hai admi...

vidisha ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
शशांक शुक्ला ने कहा…

चलिये अच्छी शुरुआता है, शुभकामनायें,
merajawab.blogspot.com

shama ने कहा…

मैं उन लोगों में शामिल होने की चाहत रखता हूँ जिन्होंने वक़्त सांचे बदले.
Anek shubhkamnayen!

kshama ने कहा…

Dua hai aapki ichha pooree ho!

बेनामी ने कहा…

sabka dhanyavaad...

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

स्वागत है आपका. सार्थक लेखन में जुटे रहें.

राम बंसल/Ram Bansal ने कहा…

खुदा के आश्रय में इस देश का बहुत अधिक पतन हो चुका है, अब रहम कीजिए और अपने बाल पर कुच्छ करने का प्रयास कीजिए.

Arshad Ali ने कहा…

सुन्दर परिचय
सुन्दर कविता

स्वागत आपका हिंदी ब्लॉग की दुनिया में..

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी लगी आपकी रचना .. इस नए चिट्ठे के साथ हिन्‍दी चिट्ठा जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!